मज़हब के नाम पे तूने सब बदल दिया। मज़हब के नाम पे तूने सब बदल दिया।
पास जाऊँ तो भी नहीं पहचानती है, वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है...। पास जाऊँ तो भी नहीं पहचानती है, वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है...।
पर तब ना ये बात होगी, ना मुलाक़ात होगी, बस अपनी बात तेरे आँचल में ही भिगो जाऊँगा एक दिन...! पर तब ना ये बात होगी, ना मुलाक़ात होगी, बस अपनी बात तेरे आँचल में ही भिगो जाऊ...
क्या बताए आपको एक अधूरा सा प्यार मुझे भी हुआ था...! क्या बताए आपको एक अधूरा सा प्यार मुझे भी हुआ था...!
अंजान होंगे जब हम, कोई अजनबी होगा! अंजान होंगे जब हम, कोई अजनबी होगा!
साग़र की आरज़ू ना पैमाने की आस होनी चाहिए... साग़र की आरज़ू ना पैमाने की आस होनी चाहिए...